चिकन के नियमित सेवन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर से मृत्यु के खतरे के बीच संबंध ( Regular Chicken Consumption Linked to Higher Death Risk From GI Cancers )
चिकन को आमतौर पर एक "हेल्दी प्रोटीन" का अच्छा स्रोत माना जाता है, जो रेड मीट की तुलना में कम फॅट और कैलोरी देता है. लेकिन हाल ही में हुए एक वैज्ञानिक अध्ययन ने चिकन के नियमित अधिक सेवन और पाचन तंत्र से जुड़ी बीमारियों, विशेषकर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (GI) कैंसर और समय से पहले मृत्यु के जोखिम के बीच एक चिंताजनक संबंध उजागर किया है. यह अध्ययन पोल्ट्री उत्पादों के अत्यधिक सेवन के दुष्प्रभावों पर पुनः विचार करने की आवश्यकता को दर्शाता है.
अध्ययन का अवलोकन
2024 में प्रकाशित इस अध्ययन में करीब 4,869 इतालवी वयस्कों को शामिल किया गया, जिन्हें औसतन 19 वर्षों तक फॉलो किया गया. इन प्रतिभागियों की जीवनशैली, खान-पान की आदतें, स्वास्थ्य स्थिति और मृत्यु के कारणों का गहराई से विश्लेषण किया गया. विशेष रूप से पोल्ट्री, जैसे कि चिकन और टर्की के सेवन की मात्रा और उससे जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों पर ध्यान केंद्रित किया गया.
अध्ययन में यह पाया गया कि जो लोग सप्ताह में 300 ग्राम या उससे अधिक चिकन का सेवन कर रहे थे, उनमें सभी कारणों से मृत्यु का जोखिम 27% अधिक था, जब इसकी तुलना उन लोगों से की गई जिन्होंने सप्ताह में 100 ग्राम या उससे कम चिकन का सेवन किया.
GI कैंसर पर विशेष प्रभाव
इस अध्ययन में यह विशेष रूप से देखा गया कि पोल्ट्री का अत्यधिक सेवन गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर (जैसे पेट का कैंसर, कोलन कैंसर, आंतों का कैंसर आदि) से मृत्यु के जोखिम को 2.27 गुना तक बढ़ा सकता है. पुरुषों में यह जोखिम और भी अधिक पाया गया, जहाँ 2.61 गुना अधिक मृत्यु दर दर्ज की गई.
Regular Chicken Consumption Linked to Higher Death Risk From GI Cancers ( Hindi )
यह खतरा क्यों बढ़ता है?
अध्ययन में संभावित कारणों की भी विस्तार से बताया है, जो पोल्ट्री के अत्यधिक सेवन को कैंसर के बढ़ते जोखिम से जोड़ते हैं,
1. पकाने के तरीके और कार्सिनोजेन्स का निर्माण
चिकन को उच्च तापमान पर ग्रिलिंग, फ्राइंग या बार्बेक्यू करने पर हेटरोसाइक्लिक एमाइन्स (HCAs) और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन्स (PAHs) जैसे कैंसरकारी तत्व उत्पन्न होते हैं. ये यौगिक डीएनए को क्षति पहुंचाकर कैंसर कोशिकाओं के विकास को बढावा देते हैं.
2. प्रोसेसिंग और रसायन
कई पोल्ट्री उत्पादों में स्वाद बढ़ाने के लिए प्रिजर्वेटिव्स, नमक, नाइट्रेट्स और अन्य रसायनों का उपयोग किया जाता है. इन रसायनों का लंबे समय तक सेवन पाचन तंत्र की कोशिकाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.
3. हार्मोन और एंटीबायोटिक्स का प्रभाव
व्यावसायिक पोल्ट्री उद्योग में चिकन के तेजी से विकास और बीमारियों से बचाव के लिए हार्मोन और एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है. इन पदार्थों के अवशेष मानव शरीर में जाकर आंतरिक सूजन, मेटाबॉलिक असंतुलन और कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं.
4. गट माइक्रोबायोम पर असर
चिकन का अत्यधिक सेवन गट माइक्रोबायोम (आंत में रहने वाले लाभकारी बैक्टीरिया) को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, जिससे पाचन तंत्र की सुरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है और कैंसर के कारक जीवाणुओं को बढ़ावा मिल सकता है.
विशेषज्ञों की राय
हालांकि यह अध्ययन चिंताजनक है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि चिकन को पूरी तरह से छोड़ने की आवश्यकता नहीं है. इसके बजाय, संतुलित मात्रा में सेवन और स्वस्थ पकाने के तरीके अपनाकर जोखिम को कम किया जा सकता है.
सुझाव:
1. सेवन की मात्रा सीमित करें
सप्ताह में 100-150 ग्राम से अधिक चिकन के सेवन से बचें. विविधता लाने के लिए मछली, दालें, नट्स और सब्जियों को प्रोटीन के विकल्प के रूप में शामिल करें.
2. पकाने के सुरक्षित तरीके अपनाएं
चिकन को उबालना, भाप में पकाना या धीमी आंच पर पकाना HCAs और PAHs के निर्माण को कम करता है.
3. प्राकृतिक और जैविक विकल्प चुनें
हार्मोन और एंटीबायोटिक मुक्त, ऑर्गेनिक पोल्ट्री उत्पादों का चयन करना अधिक सुरक्षित है.
4. प्रोसेस्ड मीट से बचें
सॉसेज, नगेट्स और स्मोक्ड पोल्ट्री जैसे प्रोसेस्ड उत्पादों का सेवन सीमित करें.
5. गट हेल्थ पर ध्यान दें
फाइबर युक्त आहार, प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स को आहार में शामिल करें, जिससे पाचन तंत्र स्वस्थ बना रहे.
क्या यह अध्ययन अंतिम सत्य है?
हर अध्ययन की तरह, इस शोध के भी कुछ सीमाएँ हैं. यह अध्ययन ऑब्जरवेशनल (प्रेक्षणीय) था, जिससे कारण और प्रभाव का सीधा संबंध साबित करना कठिन है. हालांकि, यह परिणाम अन्य अध्ययनों से मेल खाते हैं, जो पोल्ट्री और प्रोसेस्ड मीट के अत्यधिक सेवन को कैंसर के बढ़े हुए जोखिम से जोड़ते हैं.
अतः यह कहना सही होगा कि यह अध्ययन चेतावनी स्वरूप है, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेतक भी है.
अंतिम सलाह
चिकन को "सुपरफूड" मानकर अंधाधुंध सेवन न करें.
सप्ताह में 100-150 ग्राम से अधिक पोल्ट्री का सेवन न करें.
अधिक तापमान पर फ्राई या ग्रिल करने से बचें.
प्रोटीन के विविध स्रोतों पर ध्यान दें.
प्रोसेस्ड पोल्ट्री उत्पादों के सेवन को सीमित करें.
आहार में फाइबर और गट हेल्थ को प्राथमिकता दें.
यह संतुलित दृष्टिकोण आपको न केवल कैंसर के जोखिम से बचाएगा, बल्कि समग्र स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाएगा.
निष्कर्ष
पोल्ट्री विशेषकर चिकन का सेवन पूर्णतः हानिकारक नहीं है, लेकिन "अधिक है तो नुकसान है" इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, संतुलित मात्रा में और सही तरीके से सेवन करना आवश्यक है. अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार, चिकन के अत्यधिक सेवन से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर और समय से पहले मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है. अतः विविधता युक्त आहार, संयमित मात्रा और सुरक्षित पकाने की विधियों को अपनाकर इन जोखिमों से बचा जा सकता है.