पहली पीढ़ी की GLP-1 दवाएँ मोटापे से संबंधित कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती हैं

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GLP-1 (Glucagon-like peptide-1) रिसेप्टर एगोनिस्ट दवाएँ हाल के वर्षों में टाइप 2 डायबिटीज़ और मोटापे के इलाज में क्रांतिकारी साबित हुई हैं. पहली पीढ़ी की GLP-1 दवाएँ, जैसे Exenatide (Byetta) और Liraglutide (Victoza), मूल रूप से ग्लूकोज नियंत्रण के लिए विकसित की गई थीं, लेकिन आगे चलकर इनकी प्रभावशीलता वजन घटाने में भी देखी गई. हाल ही में शोधकर्ताओं ने इस संभावना पर ध्यान केंद्रित किया है कि ये दवाएँ मोटापे से संबंधित कैंसर (जैसे कोलन, ब्रेस्ट, यकृत, पैंक्रियास और एंडोमेट्रियल कैंसर) के जोखिम को भी कम कर सकती हैं.

पहली पीढ़ी की GLP-1 दवाएँ मोटापे से संबंधित कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती हैं

GLP-1 दवाएँ क्या हैं?

GLP-1 Receptor Agonists दवाएँ शरीर में GLP-1 हार्मोन जैसा काम करती हैं. ये दवाएँ डायबिटीज़, मोटापा और कभी-कभी हार्ट डिजीज़ के जोखिम को कम करने में प्रयोग की जाती हैं.

GLP-1 का प्राकृतिक काम :

भोजन के बाद इंसुलिन का स्राव (secretion) बढ़ाता है.

ग्लूका गॉन हार्मोन को कम करता है (जो शुगर बढ़ाता है)

भूख को दबाता है (Appetite Suppressant)

पेट की सफाई की गति को धीमा करता है (gastric emptying slow करता है)

GLP-1 दवाओं के उदाहरण:


1. पहली पीढ़ी की GLP-1 दवाएँ

एक्सेनाटाइड (बायेटा, बायडुरियन (Exenatide (Byetta, Bydureon)

लिराग्लूटाइड (विक्टोज़ा, सैक्सेंडा (Liraglutide (Victoza, Saxenda)

2. नई पीढ़ी की GLP-1 दवाएँ

सेमाग्लूटाइड (ओज़ेम्पिक, वेगोवी, राइबेलसस (Semaglutide (Ozempic, Wegovy, Rybelsus)

डुलाग्लूटाइड (ट्रुलिसिटी (Dulaglutide (Trulicity)

टिर्जेपेटाइड (मौनजारो) – (जीएलपी-1 + जीआईपी डुअल एगोनिस्ट (Tirzepatide (Mounjaro) – (GLP-1 + GIP dual agonist)


मोटापा और कैंसर के बीच संबंध

मोटापा न केवल डायबिटीज़ और हृदय रोगों का जोखिम बढ़ाता है, बल्कि यह कई प्रकार के कैंसर से भी जुड़ा है.

इनके कारण देखिये:


1. इंसुलिन प्रतिरोध और हाई इंसुलिन लेवल (हाइपरइंसुलिनेमिया)

उच्च इंसुलिन स्तर कोशिकीय वृद्धि (cell proliferation) को बढ़ावा देता है और कैंसर के विकास में सहायक हो सकता है.

2. क्रोनिक इन्फ्लेमेशन (Chronic Low-Grade Inflammation)

मोटापे के कारण शरीर में सूजन की स्थिति बनी रहती है, जिससे कोशिकाओं के डीएनए में बदलाव आ सकते हैं और कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है.

3. हार्मोनल परिवर्तन (Estrogen, Leptin, Adipokines)

फैट टिशू अतिरिक्त एस्ट्रोजेन का उत्पादन करता है, जिससे ब्रेस्ट और एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा बढ़ता है.


GLP-1 दवाओं के फ़ायदे क्या है?

पहली पीढ़ी की GLP-1 दवाएँ शरीर में निम्नलिखित तरीके से प्रभाव डालती हैं, जो मोटापे से संबंधित कैंसर के जोखिम को घटा सकती हैं:

1. वजन घटाने में प्रभावी

GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट भूख कम करने, पेट की मरोड़ धीमी करने और तृप्ति की भावना बढ़ाने में मदद करते हैं. इससे वजन में कमी आती है. वजन घटाने के परिणामस्वरूप:

शरीर में सूजन (Inflammation) घटती है.

इंसुलिन प्रतिरोध में सुधार होता है.

हार्मोनल असंतुलन कम होता है.

ये सभी कारक कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं.

2. इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार

GLP-1 दवाएँ इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाकर रक्त में ग्लूकोज और इंसुलिन के स्तर को संतुलित करती हैं. हाई इंसुलिन लेवल के कारण कोशिकाओं में अनियंत्रित विभाजन का खतरा बढ़ता है, जो कैंसर का कारक हो सकता है. अतः इन दवाओं के माध्यम से यह जोखिम कम किया जा सकता है.

3. एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रभाव

शोध से पता चला है कि GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट शरीर में साइटोकाइन्स (IL-6, TNF-alpha आदि) की गतिविधि को कम कर सकते हैं, जो सूजन और कैंसर की प्रगति में भूमिका निभाते हैं.

4. ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस में कमी

GLP-1 दवाएँ कोशिकाओं में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को घटाकर डीएनए क्षति की संभावना कम करती हैं, जिससे कैंसर का जोखिम घट सकता है.

रिसर्च क्या कहती है:

1. लीराग्लूटाइड (Liraglutide) पर अध्ययन

लार्ज स्केल रजिस्ट्री और कोहोर्ट स्टडीज़ में यह पाया गया कि लीराग्लूटाइड से उपचारित मोटे या प्रीडायबिटिक रोगियों में वजन घटाने के साथ-साथ कोलन और ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम में कमी देखी गई. इसके अलावा, Non-alcoholic fatty liver disease (NAFLD) में भी सुधार हुआ, जिससे लिवर कैंसर का जोखिम घटा.

2. Exenatide पर साक्ष्य

Exenatide से उपचारित रोगियों में इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार और वजन में कमी के कारण पैंक्रियास और लिवर से संबंधित कैंसर के बायोमार्कर में भी गिरावट दर्ज की गई. हालांकि कैंसर की घटनाओं पर प्रभाव के दीर्घकालिक साक्ष्य सीमित हैं, फिर भी प्रारंभिक संकेत उत्साहजनक हैं.

सीमाएँ और चुनौतियाँ

1. सीधा सबूत अभी सीमित है:

अधिकांश अध्ययन अवलोकनात्मक (observational) या प्रीक्लिनिकल हैं. बड़े, यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण (RCTs) की आवश्यकता है.

2. लंबी अवधि का डेटा अपेक्षित:

कैंसर के विकास में वर्षों लग सकते हैं, इसलिए दीर्घकालिक अध्ययन जरूरी हैं.

3. अन्य प्रभावों का नियंत्रण:

वजन घटाने से ही कैंसर जोखिम कम होता है या GLP-1 की स्वतंत्र भूमिका है, इसे स्पष्ट करना बाकी है.

क्या भविष्य हो सकता है?


नए GLP-1/ग्लूकागन रिसेप्टर एगोनिस्ट कॉम्बिनेशन

भविष्य में GLP-1 के साथ अन्य पेप्टाइड्स (जैसे GIP, ग्लूकागन) के संयोजन वाली दवाएँ और भी प्रभावी हो सकती हैं.

व्यक्तिगत उपचार (Personalized Medicine)

जेनेटिक प्रोफाइलिंग के आधार पर यह तय किया जा सकेगा कि किन रोगियों को GLP-1 से मोटापा व कैंसर के जोखिम में सर्वाधिक लाभ मिलेगा.

निष्कर्ष

पहली पीढ़ी की GLP-1 दवाएँ न केवल डायबिटीज़ और मोटापे के उपचार में कारगर हैं, बल्कि वे मोटापे से संबंधित कैंसर के जोखिम को भी कम करने की क्षमता रखती हैं. हालांकि अभी और अधिक शोध की आवश्यकता है, लेकिन इनके सकारात्मक प्रभावों की ओर संकेत मिल चुके हैं. वजन घटाना, इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाना, सूजन घटाना और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करना, ये सभी मेटाबोलिक रास्ते कैंसर जोखिम में कमी लाने में सहायक हो सकते हैं.


यह संभावना है कि आने वाले वर्षों में GLP-1 दवाओं का उपयोग न केवल मेटाबोलिक रोगों के इलाज में बल्कि कैंसर की रोकथाम में भी एक प्रभावी रणनीति के रूप में उभरेगा.







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