हिंदू धर्म मे आयुर्वेद को बहुत महत्व है. और यह परंपरा आज से नही बल्की हजारो सालों से चलती आ रही है. हमारे प्राचीन ग्रंथों मे इनके प्रमाण मिलते है. हम आज बहुत भाग्यशाली है, की हमारे ऋषीमुनी--पुरखोंने इस आयुर्वेद की खोज की और सारे समाज को रोगों-पिडासे मुक्ती दी.
मुझे लगता है, आज सही मायने मे आयुर्वेद की जरुरत है. लेकीन एलोपैथी के दुनिया मे लोग आयुर्वेद को समजते ही नही है. अधुरी झटपट बिमारी से छूटकारा पाने के लिये अधिकांश लोग एलोपैथीका ही सहारा लेते है. मै यह नही कहता की, एलोपैथीका सहारा मत लो. लेकीन जो चीज आसानी से आयुर्वेद से बरी हो सकती है और वह भी किसी हानी के बिना, तो हम एलोपैथीको शरीर को थोडा थोडा करके बिमारी मे ढकलने वालोको क्यू चुणते है? जब कोही ऐसी बात हो, जीससे हमारे पास कोही विकल्प नही है. वक्त बहुत आगे जा चुका है, ऐसे वक्त एलोपैथीको जरूर चुणे.
दोस्तो समय आ गया है, आयुर्वेद को अपनाने की. मै विश्वासके साथ कहता हु, की आयुर्वेद से आप और हम बडी से बडी बिमारी आसानी से खत्गाम कर सकते है. लेकीन यहा सिर्फ जरुरत है विश्वास और काम की.
मेरा मानणा है की, एक बार आपने आयुर्वेद को अपनाया, तो आपको बिमार पडणे की नौबत ही नही आयेगी. इससे आपको किसी प्रकारकी खतरनाक दवायों खाणे की जरुरत ही नही पडेगी. आप जाणते नही है, हम जो भी दवायें खाते है वह हमारी पिडा को कम जरूर करती है, लेकीन उस दवायों मे स्थित रसायनिक कंटेंट के वजह से शरीर की हानी होती है, यह हम भूल जाते है. और यह सब याद हमे जीवन के आखरी पाडावपर आता है. लेकीन तबतक वक्त हमारे हातोसें निकल जा चुका होता है.
इसलिये हमे आयुर्वेद को अपनाना ही होगा. आगे यही हमारे असली जीवनका आधार है. बाकी सब अधुरा इलाज है. और हमे आधा इलाज नही बल्की हमेशा के लिये इलाज चाहिये.
जाणते है आयुर्वेद चिकित्सा और मतलब क्या है?
आयुर्वेद को सीधी भाषा मे समजते है, आयुः + वेद. मतलब जीवन का ज्ञान. यह एक मुख्य और श्रेष्ठ चिकित्सा प्रणाली है. जिसका प्रसार भारत के साथ नेपाल, श्रीलंका महाद्वीप मे बढता आ रहा है. इस चिकित्सा प्रणाली से हम शरीर को स्वस्थ्य बना सकते है. बिमारी हमसे कोसो दूर भाग जायेगी. इतनी प्रभावी स्थायी रुपी शक्ती इस आयुर्वेद मे है. और इसका प्रमाण हमारे प्राचीन ग्रंथ देते है. जिसका वापर प्राचीन काल से ऋषीमुनी और लोग करते आ रहे है. और वह हमसे कही गुण ज्यादा स्वस्थ्य जीवन जी रहे थे. तब लोग सौ साल से अधिक जीते थे. और वह भी किसी पिडा के बिना. और यह सब कीस वजह से. सिर्फ आयुर्वेद के वजह से. इस सरल भाषा मे आप आयुर्वेद को बराबर समज गये होंगे, की आयुर्वेद क्या है?
अब हम आयुर्वेद का महत्व जाणते है. जीससे आपको विश्वास हो जायेगा की, हमे आयुर्वेद को क्यू अपनाना चाहिये?
आयुर्वेद का सीधा सीधा प्रभाव हमारे शरीर के बिमारी के जडपर डालता है. जीससे बिमारी हमेशा के लिये गायब हो जाती है. और इससे शरीर का किसी प्रकार का नुकसान नही होता है. हमारा शरीर स्वस्थ्य और शांती महसूस करता है.
दोस्तो आयुर्वेद ऐसी चिकित्सा प्रणाली है, जो सीधेसे शरीर एवं मस्तिष्क से जुडे सभी रोग ठीक करती है. यह उपचार पद्धती केवळ योग, तप, मालिश करना ई. से मर्यादित नही है, बल्की यह शरीर के बिमारी के मूल कारण को पता करके, जड से उखाड देती है. और शरीर को हेल्दी स्वस्थ्य प्रदान करती है.
इससे आपको पता चला हुआ होगा की, आज आयुर्वेद का महत्व कितना बडा है. इस प्रदूषित वातावरण मे अगर हमे स्वस्थ्य रहना है, तो सुरुवाती से हमे आयुर्वेद का अपनाना होगा. ध्यान रखने वाली बात यह है की, हमे इस चिकित्सा प्रणाली को हररोज करना है. तभी इसका हमे फायदा होगा.
दोस्तो आयुर्वेद का महत्व तो आपको पता चला, अब हमे आयुर्वेद काम कैसे करता है? इस बारे मे जानकारी लेते है. इससे आपको आयुर्वेद क्या है? और उसका महत्व कितना बडा है, इस बारे मे जान संकेंगे.
आयुर्वेद मे हमे प्रमाण मिलता है, की हमारा शरीर जल, पृथ्वी, आकाश, अग्नि और वायु से एकत्रित मिलकर बना है. इसी प्रमाण के चलते वात, पित्त और कफ इन्ही पाच तत्वों के संयोजन है, जो प्रकृती के सभी निर्माण मे हमेशा प्रगट होते रहते है.
भौतिक शरीर मे वात ऐसी उर्जा है, जो पाचन और चयापचय की ऊर्जा और शरीर की संरचना बनाने वाली ऊर्जा को साफ करती है. वात मे जुडी उर्जा श्वास, निमिष, मांसपेशियों, हृदय की धड़कन और कोशिका झिल्ली में सभी नियंत्रित करता है. इसके असंतुलन से वात भय और चिंता पैदा करता है.
पित्त शरीर चयापचय प्रणाली का भाग और यह आग और पानी से बना है. यह पाचन, अवशोषण, पोषण, चयापचय और शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है. अगर किसी कारण वंस संतुलन बिघड गया तो पित्त क्रोध और ईर्ष्या पैदा करता है.
कफ ऐसी ऊर्जा है, जो शरीर की हड्डियों, मांसपेशियों को निर्माण करती है जो, कोशिकाओं को एक साथ रखती है. यह जोड़ों को चिकनाई देता है, त्वचा को मॉइस्चराइज़ करता है. इसके असंतुलन से लालच और ईर्ष्या की ओर जाता है.
दोस्तो आयुर्वेद के बारे मे जानकारी लेने के बाद हमारे शरीर को इसके फायदे क्या है? और आज इस काल मे आयुर्वेद की क्यू जरुरत है ? इस बारे मे जाणते है.
1. रोग प्रतिकार शक्ती बढाने मे कारगर
आयुर्वेद एक ऐसी चिकित्सा प्रणाली है, जीससे हम शरीर की रोगप्रतिकार शक्ती बढा सकते है. आज कोरोना काल मे अधिक रोगप्रतिकार वाले लोग ही आसानी से जीवन जी सकते है. क्युंकी यह वायरस एक दुसरे से होकर अन्य जगह फैलता है, जीसके वजह से कम रोगप्रतिकार वाले आसानी से कोरोना के लपेट मे आते है.
इसे आसानी से सामना करना है, तो आयुर्वेद को अपनाना ही होगा. आयुर्वेद से बनी दवायें शरीर के जड के बिमारी को खत्म करते है और मनुष्य को स्वस्थ्य बनाती है. साथ ही हररोज योग, प्राणायाम करने से खुण शुद्धीकरण होता है. मानसिक स्वस्थ्य अच्छा रहता है. आपकी आयु बढती है.
2. शरीर का शुद्धिकरण
आयुर्वेद के पंचकर्म प्रक्रिया से शरीर शुद्धीकरण होता है. आयुर्वेद प्रणाली से बनी दवायें अधिकांस घरेलू चीजों से बनी होती है, जैसे लहसून, जीरा, इलायची, सौंफ, लौंग और अदरक ई. जैसे आयुर्वेदिक वस्तुयें शरीर के बिमारी को आसानी से भगा देते है.
3. कैंसर, कोलेस्ट्रॉल और अन्य बीमारियों से बचाव
विज्ञान भी मानता है की, आयुर्वेद एक प्रभावी और जड से खत्म करने वाली चिकित्सा प्रणाली है. और आज सभी लोग मानते है. तभी तो कोरोना काल मे सब को आयुर्वेद की याद आयी. आयुर्वेद चिकित्सा मे कही प्रकार की जडी बुटीयां आती है, वह बडी से बडी बिमारी को खत्म करने मे सक्षम है. जैसे आज कैंसर, कोलेस्ट्रॉल बढने से लोग अपनी जान गंवा बैठते है. लेकीन आप आयुर्वेद के चिकित्सा पद्धती को ठीक से समजते है और उसे अपने जीवन का भाग बनाते है, तो इस बिमारीयों को आप जल्दी ठीक कर सकते है. इसके लिये आपको एक दिन, दो दिन नही बल्की हमेशा इसकी उपचार पद्धती करनी है. साथ ही आपको योग, प्राणायाम, शरीर के अन्य व्यायाम हररोज करने है.
4. मानसिक और तणाव को खत्म करणे मे मदत
अब हम आयुर्वेद का महत्व जाणते है. जीससे आपको विश्वास हो जायेगा की, हमे आयुर्वेद को क्यू अपनाना चाहिये?
आयुर्वेद का महत्व क्या है ?
आयुर्वेद पाच हजार वर्ष से अधिक पुराणी चिकित्सा प्रणाली है. और यह प्रणाली खुद ऋषीमुनीयोंने कडी मेहनत के साथ खोज किया है. और हम सबको इसपर गर्व होना चाहिये की, हम उनके वंशज है.आयुर्वेद का सीधा सीधा प्रभाव हमारे शरीर के बिमारी के जडपर डालता है. जीससे बिमारी हमेशा के लिये गायब हो जाती है. और इससे शरीर का किसी प्रकार का नुकसान नही होता है. हमारा शरीर स्वस्थ्य और शांती महसूस करता है.
दोस्तो आयुर्वेद ऐसी चिकित्सा प्रणाली है, जो सीधेसे शरीर एवं मस्तिष्क से जुडे सभी रोग ठीक करती है. यह उपचार पद्धती केवळ योग, तप, मालिश करना ई. से मर्यादित नही है, बल्की यह शरीर के बिमारी के मूल कारण को पता करके, जड से उखाड देती है. और शरीर को हेल्दी स्वस्थ्य प्रदान करती है.
इससे आपको पता चला हुआ होगा की, आज आयुर्वेद का महत्व कितना बडा है. इस प्रदूषित वातावरण मे अगर हमे स्वस्थ्य रहना है, तो सुरुवाती से हमे आयुर्वेद का अपनाना होगा. ध्यान रखने वाली बात यह है की, हमे इस चिकित्सा प्रणाली को हररोज करना है. तभी इसका हमे फायदा होगा.
दोस्तो आयुर्वेद का महत्व तो आपको पता चला, अब हमे आयुर्वेद काम कैसे करता है? इस बारे मे जानकारी लेते है. इससे आपको आयुर्वेद क्या है? और उसका महत्व कितना बडा है, इस बारे मे जान संकेंगे.
आयुर्वेद काम कैसे करता है?
दोस्तो शरिर का संतुलन बनाया रखने मे मुख्यत: तीन दोष हमेशा रुकावट लाते है, वह है, वात, पित्त और कफ. यह तीन दोष जब संतुलित रहते है, तब हमारा शरीर स्वस्थ्य रहता है. और आयुर्वेद शरिर के इस तीन दोषों को खत्म करने मे हमारी मदत करता है. आयुर्वेद हमारे शरीर, मन और चेतना को संतुलित करके स्वस्थ्य बनाया रखता है. इन सभी प्रमाण से आपको पता चला हुआ होगा की, आयुर्वेद शरीर के हेल्दी स्वस्थ्य के साथ मानिसक विकास मे हमारी बहुत मदत करता है.आयुर्वेद मे हमे प्रमाण मिलता है, की हमारा शरीर जल, पृथ्वी, आकाश, अग्नि और वायु से एकत्रित मिलकर बना है. इसी प्रमाण के चलते वात, पित्त और कफ इन्ही पाच तत्वों के संयोजन है, जो प्रकृती के सभी निर्माण मे हमेशा प्रगट होते रहते है.
भौतिक शरीर मे वात ऐसी उर्जा है, जो पाचन और चयापचय की ऊर्जा और शरीर की संरचना बनाने वाली ऊर्जा को साफ करती है. वात मे जुडी उर्जा श्वास, निमिष, मांसपेशियों, हृदय की धड़कन और कोशिका झिल्ली में सभी नियंत्रित करता है. इसके असंतुलन से वात भय और चिंता पैदा करता है.
पित्त शरीर चयापचय प्रणाली का भाग और यह आग और पानी से बना है. यह पाचन, अवशोषण, पोषण, चयापचय और शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है. अगर किसी कारण वंस संतुलन बिघड गया तो पित्त क्रोध और ईर्ष्या पैदा करता है.
कफ ऐसी ऊर्जा है, जो शरीर की हड्डियों, मांसपेशियों को निर्माण करती है जो, कोशिकाओं को एक साथ रखती है. यह जोड़ों को चिकनाई देता है, त्वचा को मॉइस्चराइज़ करता है. इसके असंतुलन से लालच और ईर्ष्या की ओर जाता है.
दोस्तो आयुर्वेद के बारे मे जानकारी लेने के बाद हमारे शरीर को इसके फायदे क्या है? और आज इस काल मे आयुर्वेद की क्यू जरुरत है ? इस बारे मे जाणते है.
आयुर्वेद के स्वास्थ्य और मानसिक ( हेल्दी लाभ क्या है?
1. रोग प्रतिकार शक्ती बढाने मे कारगर
आयुर्वेद एक ऐसी चिकित्सा प्रणाली है, जीससे हम शरीर की रोगप्रतिकार शक्ती बढा सकते है. आज कोरोना काल मे अधिक रोगप्रतिकार वाले लोग ही आसानी से जीवन जी सकते है. क्युंकी यह वायरस एक दुसरे से होकर अन्य जगह फैलता है, जीसके वजह से कम रोगप्रतिकार वाले आसानी से कोरोना के लपेट मे आते है.
इसे आसानी से सामना करना है, तो आयुर्वेद को अपनाना ही होगा. आयुर्वेद से बनी दवायें शरीर के जड के बिमारी को खत्म करते है और मनुष्य को स्वस्थ्य बनाती है. साथ ही हररोज योग, प्राणायाम करने से खुण शुद्धीकरण होता है. मानसिक स्वस्थ्य अच्छा रहता है. आपकी आयु बढती है.
2. शरीर का शुद्धिकरण
आयुर्वेद के पंचकर्म प्रक्रिया से शरीर शुद्धीकरण होता है. आयुर्वेद प्रणाली से बनी दवायें अधिकांस घरेलू चीजों से बनी होती है, जैसे लहसून, जीरा, इलायची, सौंफ, लौंग और अदरक ई. जैसे आयुर्वेदिक वस्तुयें शरीर के बिमारी को आसानी से भगा देते है.
3. कैंसर, कोलेस्ट्रॉल और अन्य बीमारियों से बचाव
विज्ञान भी मानता है की, आयुर्वेद एक प्रभावी और जड से खत्म करने वाली चिकित्सा प्रणाली है. और आज सभी लोग मानते है. तभी तो कोरोना काल मे सब को आयुर्वेद की याद आयी. आयुर्वेद चिकित्सा मे कही प्रकार की जडी बुटीयां आती है, वह बडी से बडी बिमारी को खत्म करने मे सक्षम है. जैसे आज कैंसर, कोलेस्ट्रॉल बढने से लोग अपनी जान गंवा बैठते है. लेकीन आप आयुर्वेद के चिकित्सा पद्धती को ठीक से समजते है और उसे अपने जीवन का भाग बनाते है, तो इस बिमारीयों को आप जल्दी ठीक कर सकते है. इसके लिये आपको एक दिन, दो दिन नही बल्की हमेशा इसकी उपचार पद्धती करनी है. साथ ही आपको योग, प्राणायाम, शरीर के अन्य व्यायाम हररोज करने है.
4. मानसिक और तणाव को खत्म करणे मे मदत
मानसिक और तणाव को खत्म करने का इससे बढीया तरीका हो ही नही सकता. आयुर्वेद मे योग, प्राणायाम और ध्यान मनुष्य के जीवन के मुख्य स्तंभ है. आप इनके प्रयोग से शरीर को शांती एवं स्वाथ्य प्रदान कर सकते है. ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से शरीर मे उर्जा का प्रवाह पहले से अधिक बढता है और कोशिकाओं में अधिक मात्रा में ऑक्सीजन की पूर्ति करता है.
5. जलन और सूजन से मुक्ती
गलत आहार बिमारीयों का मुख्य मार्ग है. अगर आप आहार उचित समय पर नही लेते है. सही समय पर निंद नही लेते है. इससे आपकी पाचन प्रक्रिया सही तरीके से काम नही करती है. इससे आपको जलन और सुजन हो सकती है. कोलेस्ट्रोल बढना, कैंसर, हृदय संबंधी समस्याओं, गठिया और कई अन्य बिमारीयों के मूल कारण सूजन से शुरू होती है. इस बिमारीयों पर आयुर्वेद के जडी बुटीयां बढियां कारागर साबित होती है.
6. स्वास्थ्य संतुलन और त्वचा का निखार बढता है
आयुर्वेद का मुख्य काम है, शरीर का स्वास्थ्य संतुलन बनाया रखना और शरीर का शुद्धीकरण करना. आयुर्वेद के इलाजों से हम त्वचा का निखार बढा सकते है. आयुर्वेद के उपचार पद्धती से शरीर से अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मदद मिलती है. प्राकृतिक भोजन से शरीर मे हमेशा संतुलन बनाया रहता है.
दोस्तों अगर आयुर्वेद को अपनाने से शरीर मे उर्जा का भंडार बढा सकते है, तो हम क्यू केमिकल से बने पदार्थ और दवायें को खाणे को दौडते है? क्या मिलता है, इससे? अगर हम हररोज आयुर्वेद और योग को अपणाते है, तो हमारी रोग प्रतिकार शक्ती तेजीसे बढेगी, शरीर मे मानसिक विकास बढेगा और हम बिमारी से दूर रहंगे. तो हमे क्या चुणना है, आयुर्वेद या केमिकल से बनी दवायें?
इस सवाल पर हम जाणते है,
आज आयुर्वेद की जरुरत क्यू है ?
दोस्तो 21th शताब्दी मे लोगोंकी लाइफ स्टाईल दिन भर दिन बदलती रहती है. इस बदलती लाइफ स्टाईल के वजह से लोगोंको अपने उपर ध्यान देने के लिये समय ही नही बचता. ऐसे वक्त कोही बिमार पडता है, तो जल्दी ठीक होणे के लिये एलोपैथी से बनी दवायें लेते है, जो सीमित समय के लिये आराम देती है. बाद मे जैसे था वैसा.फिर भी लोग इसका बार बार चयन करते है और अपने बॉडी को उसकी आदत बनाते है. लेकीन आप इसमे भूल जाते है की, आप जिस एलोपैथी से बनी दवायें लेते है, वह सिफ टेम्पररी सर्विस देती है. उसके हररोज उपयोग से शरीर मे गलत प्रभाव दिखते है और हम बार बार बिमार पडते है.
दोस्तो.. इन सभी से बचने के लिये आयुर्वेद और उनसे बनी दवायें को अपने जीवन का भाग बनाना चाहिये. इसका असर धीरे धीरे जरूर होता है, लेकीन वह दवायें उस बिमारी को जड से उखाड देती है. और आप हमेशा के लिये उस बिमारी से मुक्त होते है.
बढती आबादी और उससे निर्माण प्रतियोगिता, इस वजह से हर एक क्षेत्र मे लोगोंके धिमाक पर बडा तणाव होता है. लोग मानसिक रोग के शिकार होते है. ऐसे मे आयुर्वेद के नुक्से आपको इन बिमारीयों से मुक्ती दिलाने मे मदद करते है .
वह कैसे? ध्यान, योग, प्राणायाम हररोज करने से शरीर मे खुण का प्रवाह सही मात्रा मे होता है. खुण की शुद्धी होती है. शरीर मे निखार बढता है. धिमाक शांती से काम करता है.
आज कोरोना मे बिमारीयां कम प्रतिरोध लोगोंको ही अपना शिकार बनाती है. जीन लोगोंकी रोग प्रतिरोध शक्ती तेज है, वे लोग कोरोनो का आसानी से हरा देते है. इसका मतलब हम आयुर्वेद के चिकित्सा प्रणाली को अपणातें है, तो निसंदेह कही बिमारीयों को हरा सकते है.
दोस्तो आज हमे आयुर्वेद की जरुरत है. क्युंकी यह चिकित्सा प्रणाली आसान है. उसके कोही साईड इफेक्ट्स नही होते है, होते है तो सिर्फ अच्छे फायदे. हेल्दी शरीर और मानसिक विकास तेजीसे बढता है और मनुष्य स्वस्थ्य एवं सुदृढ बनता है. अभी इसपर आपका निर्णय होगा की, आपको क्या चुणना है?